Hostel Ki Yaadein

Remember your Hostel days with words of power. Here i present a Hindi Poem based on Hostel days and fun.

HOSTEL की यादे

HOSTEL की यादे
वो खट्टी- मिठी सी यादे करते को जब हर हम सरारते Hostel me सुबहा school of time pe
खुद ना उठ कर दुसरो को उठाना

तैयार होने के time
चोटी और दुप्पटे के लिए
दुसरो को सताना

TV Series के लिए voting कराना
अपनी मन की न चलें तो Remote छुपाना

जमीन से गद्दे बिछा कर सोना
एक-दूसरे से लड़ कर, कोपचे से रोना
अकेले में BF-GF Ki talking
और Backetball court मे walking

वो saturday को, तेल की चम्पी थी
उस पर भी experiment करने मे
लड़कीया कहाँ कम थी

हँसते थे ,हँसाते थे
लड़ते थे, सताते थे

प्यार फिर भी कहाँ था कम
कहाँ खो गए वो खट्टी- मिट्टी यादे
है इसी बात का गम।

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